अब बरसात तो बंद हो गई है,
हुआ अब साफ मौसम ये ,
रह रह कर माँ के ख्यालों में ,
जहाँ भेजते हैं इन्हें वहां ये जाते नहीं ,
कभी इधर गए और कभी उधर गए है ,
अपनी माँ के बिना कई लाडला-लाडली ,
माँ के बिखर गए है ।
मेरी माँ के ख्यालों ने उसका मन ,
ना जाने किस तरह जकड़ रखा है ,
माँ के बिना ना मैं ,और ना मेरे बिना माँ,
उन्होंने बस यहीं किस्सा पकड़ रखा है ।
बोलती रहती है वो हमारे लिए हर पल ,
हर किसी से वो हमारे बारे में चर्चा करती है,
और अपनी खूबसूरत जिंदगी के हर लम्हें ,
हमारे लिए खर्च करती रहती है माँ ।
एक दूजे के लिए माँ और बच्चे बेचैन हो जाते हैं,
ना रातों में ये कभी चैन से सो पाते हैं ,
रह कर साथ में सबके वो दोनों ,
माँ से मिलने के लिए मन ही मन रोते हैं ।
और ना कभी उनसे जिया जाता है ,
और ना खुद से खुद को कभी मारा जाता है,
मेरी माँ के जैसा कभी उनसे ना सवारा जाता है,
और ना ही संभाला जाता है।
ऐसा लगता है जैसे ये खुशियों वाले लम्हें ,
ना जाने जीवन में कितनी पीछे छूट गए हो ,
कई लाडला-लाडली आज अपनी माँ के बिना,
ना जाने कितना टूट गए है वो ।
माँ...जो खुद ही खुद से रूठ गए हैं वो ।
मेरी माँ के लिए, -
हमेशा हमारी नजरो में आपके नजारे रहेंगें माँ,
आपकी पलको में चाँद और सितारे रहेंगे माँ ,
चाहें बदल जाए बदले तो ये दुनियां सारी माँ ,
हम तो बस आपके लाडले-लाडली रहेंगें माँ ,
माँ... ओ मेरी माँ...।।
~ रिंकू विराट
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