Place this code on every page across your site and Google will automatically show ads in all the best places for you आपके और मेरे जीवन की खट्टी-मीठी बातें: घर की नन्हीं बेटियों के लिए प्यारी सी कविता।

घर की नन्हीं बेटियों के लिए प्यारी सी कविता।

घर की नन्हीं  बेटियों के लिए प्यारी सी कविता।

फूलों-सी कोमल ह्रदय वाली होती है ये ,
                 "बेटियां "
अपने माँ-बाप की एक आह पर रोती है ये ,
                  " बेटियां "
भाइयों के प्रेम में अक्सर भुला देती है ये ,
                  " बेटियां "
फिर भी ना जाने क्यों गर्भ में जान खो देती है ये,
                  " बेटियां "

 यूँ ही नही गूंजती है घर के आंगन में ,                                "किलकरियाँ "
 अपनी जान हथेली पर रखनी पड़ती है ,
       एक माँ को माँ होने के लिए।

  जबकि बेटियां तो वह होती है जिसके साथ,
                  हम हंसते हैं ,
   खिलखिलाकर सपने देखते है और ,
   उन्हें दिल-ए-जान से प्यार करते है ।

क्योंकि बेटियों के लिए इस अनजान दुनिया में,
      बस एक माँ ही सबसे खास होती है ,
क्योंकि जन्म देने से पहले से ही वो हमारे ,
                  पास होती है ।

क्योंकि माँ  तो आखिर माँ ही होती है।

    माँ में कली हूँ अपने घर की ,
    मुझे क्यूँ बढ़ने नहीं देते हों  ,
   चलता है वंश मुझसे ही ,
   फिर क्यूँ पढ़ने नहीं देते हो ।

जो आपके दिल को छूले ऐसी होती है ये,
                     " बेटियां "
सबसे पहले माता-पिता के लिए शान होती है                         ये,  " बेटियां "
अपने भाई और बहन की पहचान होती है ये,
                        " बेटियां "
इसलिए हर काम में सबसेआगे होती है ये,
                      " बेटियां "

बिन बाटियों के अब कैसे बसेगा घर-परिवार,
कैसे आएगी खुशियाँ और कैसे बढ़ेगा ये संसार,

ना जाने फिर क्यूँ ? :-

बेटियों के गर्भ से लेकर पैदा होने तक ,
उसके हर कदम पर लटक रही है तलवार।।

                                  ~ रिंकू विराट


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