फूलों-सी कोमल ह्रदय वाली होती है ये ,
"बेटियां "
अपने माँ-बाप की एक आह पर रोती है ये ,
" बेटियां "
भाइयों के प्रेम में अक्सर भुला देती है ये ,
" बेटियां "
फिर भी ना जाने क्यों गर्भ में जान खो देती है ये,
" बेटियां "
यूँ ही नही गूंजती है घर के आंगन में , "किलकरियाँ "
अपनी जान हथेली पर रखनी पड़ती है ,
एक माँ को माँ होने के लिए।
जबकि बेटियां तो वह होती है जिसके साथ,
हम हंसते हैं ,
खिलखिलाकर सपने देखते है और ,
उन्हें दिल-ए-जान से प्यार करते है ।
क्योंकि बेटियों के लिए इस अनजान दुनिया में,
बस एक माँ ही सबसे खास होती है ,
क्योंकि जन्म देने से पहले से ही वो हमारे ,
पास होती है ।
क्योंकि माँ तो आखिर माँ ही होती है।
माँ में कली हूँ अपने घर की ,
मुझे क्यूँ बढ़ने नहीं देते हों ,
चलता है वंश मुझसे ही ,
फिर क्यूँ पढ़ने नहीं देते हो ।
जो आपके दिल को छूले ऐसी होती है ये,
" बेटियां "
सबसे पहले माता-पिता के लिए शान होती है ये, " बेटियां "
अपने भाई और बहन की पहचान होती है ये,
" बेटियां "
इसलिए हर काम में सबसेआगे होती है ये,
" बेटियां "
बिन बाटियों के अब कैसे बसेगा घर-परिवार,
कैसे आएगी खुशियाँ और कैसे बढ़ेगा ये संसार,
ना जाने फिर क्यूँ ? :-
बेटियों के गर्भ से लेकर पैदा होने तक ,
उसके हर कदम पर लटक रही है तलवार।।
~ रिंकू विराट
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