सावन में बाबा भोलेनाथ की महिमा,
यों न्यारी स ,
चलती है श्रृष्टि जिनसे उनकी महिमा ,
यों सारी स ।
सावन में ना जाने मैं कब ,
मुश्किलों से दूर हुआ ,
सब मतलबी इंसान है ,
मुझे तो भोलेनाथ तेरे से ही प्यार हुआ।
हर एक शाम जैसे ये सूरज हैं ढलता ,
चाहे कोई साथ रहे या ना रहे ,
भोलेनाथ आपकी कृपया से ,
मेरा हर काम ऐसे ही चलता रहे।
तेरे से भोलेनाथ एक बात है कहनी ,
तेरे साथ में ना कोई घड़ी ,
अब मुझे गम की सहनी ।
ना जाने कब में इन मुश्किल घड़ी से,
निकल पाया हुँ ,
भोलेनाथ की कृपा से ही मैंअपने काम में,
सफल हो पाया हूँ ।
एक माँ ने अपने बच्चो को ,
किस तरह से पाला है,
जीवन की हर मुश्किल घड़ी में ,
बाबा भोलेनाथ ने ही संभाला है ।
जय बाबा भोलेनाथ की।
मेने खुद को हर एक परिस्थिति में ढाला है ,
किया भोलेनाथ तूने ही जीवन में उजाला है ।
बाबा भोले आप के सहारे ही में चल पाया हूँ,
जिसने मुश्किलों में साथ दिया हाँ वो मेरा डमरू वाला है ।
भोलेनाथ तेरे बिना किसी मुश्किल का ,
कोई हल न पाएगा ,
मैं तो अभी गिला कागज हूँ बाबा ,
इसलिए यह अभी जल ना पायेगा।
बाबा भोलेनाथ तू कभी मुझसे ,
दूर ना जाना क्योंकि ,
कभी संभल ना पायेगा ।
सावन में कभी हरिद्वार कभी आपका मन्दिर ,
मुझे दिखाई देता है ,
मुझे तुम्हारी सूरत में पता नहीं ,
क्या-क्या दिखाई देता है।
By- रिंकू विराट
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