एक शाम बरसात की थी ,
देखा जब उसने अपनी भारी निगाहों से,
एक पल के लिए मेरी नजर उनसे दूर हो गई थी,
उसने अपनी बाहों को फैला कर मुझे,
अपने सीने से लगा लिया था,
चुम कर होठ मेरे , गले से लगाया था,
वो शाम हमारी एक मुलाकात की थी ,
मोहब्बत की महक में इतना मलिन हो गया था,
जैसे बरसात के मौसम में मनाली पहुँच गया था,
बड़े प्यार से उसने मेरा हाथ थामा ,
और
इज़्ज़त के साथ वहाँ से रवाना किया,
वो एक शाम बरसात की थी...
और
एक ख्वाब देखा खवाबों में ,
क्या ख्वाब देखा पता नहीं ,
था मैं उनकी पनाहों में ,
मगर चेहरा मुझे याद नहीं ,
लेकिन मैं उनके ख्यालों की महक से,
महक रहा था ,
वो कोनसी खुसबू थी याद नहीं,
आ रहा था ,
यहीं तो मेरे सपनों की रानी थी ,
जिसे मैं सपनों में देखकर ,
भूल जाया करता था ।
By- रिंकू विराट