कभी कसक थी नफरत की ,
कभी महक थी विसाल की
कभी क़दम न थे ज़मीं पे ,
हमारे...
जब वो उम्र थी कमाल की
कभी थमता नहीं है ,
दर्द से भरा ये ट्रैफिक ,
मेरा ज़ख़्म हरा रहता है
और
हादसे भी होते रहते हैं ,
मेरा दिल भी लगा,
रहता है...
इज़हार होता हैं कैसे।
By- रिंकू विराट
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