खुआइसें हो रही है ,
इसीलिए जून और जुलाई में ,
बरसात हो रही है।
बे-जुबान बादलों को दर्द-ए-दिल ,
तन्हाई सुना रही है ,
जैसे रिमझिम-रिमझिम बदलो को,
यहाँ पर उम्र बिताने के लिए कौन आया है,
एक दिन मेने अपनी तस्वीर दीवार पर बना दी,
और अब बारिश होने लगी हैं ,
मुझ को मिटाने के लिए।
~ रिंकू विराट
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